Sawan Pradosh Vrat 2023: सावन का पहला प्रदोष व्रत इस दिन, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त
Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत करने से भक्तों को बहुत पुण्य मिलता है. इसका व्रत रखने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी दुख दूर करते हैं. सावन में प्रदोष व्रत का महत्व और बढ़ जाता है.
दंतकथा:
एक पौराणिक कथा के अनुसार, माना जाता है कि भगवान शिव ने प्रदोष के दौरान हला-हला विष का सेवन किया था। यह विष क्षीरसागर में मिला हुआ था। एक अन्य मिथक इस व्रत को भगवान शिव और देवी पार्वती से जोड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि त्रयोदशी के दिन शाम के समय गोधूलि के समय दंपत्ति अनुकूल और अनुकूल मूड में होते हैं। इसलिए, एक वफादार भक्त द्वारा मांगी गई सभी प्रार्थनाएं और इच्छाएं आसानी से पूरी हो जाती हैं।
शिव के पास विष है
एक अन्य लोक-कथा यह है कि एक ब्राह्मण महिला एक अनाथ लड़के धर्मगुप्त के साथ ऋषि शांडिल्य के पास आई। वह एक राजकुमार था, जिसके पिता एक युद्ध में मारे गए थे। उन्होंने शांडिल्य के कहे अनुसार प्रदोष व्रत किया। कुछ वर्षों के बाद धर्मगुप्त ने एक राजकुमारी से विवाह किया। उसके पिता की सहायता से धर्मगुप्त ने उसके क्षेत्र को वापस जीत लिया। यह प्रदोष व्रत के महत्व को दर्शाता है क्योंकि यह विजय प्राप्त करने में मदद करता है।
Pradosh Vrat Importance: हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी मनाते हैं. प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है. सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आने से पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव जी की पूजा की जाती है. शिव जी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. माना जाता है कि प्रदोष के दिन भगवान शिव कैलाश पर्वत स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं.
अनुष्ठान/उत्सव:
प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव को बेल या बिल्व पत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है। भगवान शिव के भक्त महीने में दोनों प्रदोष व्रत रखते हैं। कट्टर भक्त पानी पर रहना पसंद करते हैं। वे शाम को दिए गए प्रसाद का सेवन करते हैं। ऐसे भक्त अगले दिन सुबह से पका हुआ भोजन खाते हैं। उपवास की एक अन्य विधि प्रदोष के दिन शाम की प्रार्थना के बाद फल और पका हुआ भोजन करना है। प्रदोष व्रत की कठोरता भक्त द्वारा तय की जाती है। कुछ भक्त व्रत नहीं रखते बल्कि प्रदोष के दौरान भगवान शिव की पूजा करते हैं या मंदिरों में जाते हैं। चूंकि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है, इसलिए सोमवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष अत्यधिक शुभ माना जाता है। शनिवार को चंद्रमा की कला के दौरान पड़ने वाला प्रदोष भी शुभ होता है।
सावन का पहला प्रदोष व्रत
सावन में आने वाले प्रदोष व्रत की महिमा और बढ़ जाती है. इस साल सावन 59 दिनों का होने की वजह से सावन में 4 प्रदोष आएंगे. सावन का पहला प्रदोष व्रत 14 जुलाई, शुक्रवार को रखा जाएगा. साल भर में पड़ने वाले सभी प्रदोष व्रत महादेव की पूजा के लिए उत्तम माने जाते हैं, लेकिन सावन माह में इसका महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है.
सावन
में पड़ने वाली त्रयोदशी शंकर जी की पूजा के लिए बहुत खास मानी जाती है.
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 14 जुलाई 2023 को रात 07 बजकर 17 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 15 जुलाई को रात 08 बजकर 32 मिनट पर होगा. शिव जी की पूजा प्रदोष काल में ही की जाती है, इसलिए शुक्र प्रदोष व्रत 14 जुलाई को ही रखा जाएगा. इस दिन शिव पूजा का समय रात 07 बजकर 21 मिनट से रात 09 बजकर 24 मिनट तक रहेगा.
प्रदोष व्रत की पूजन विधी
प्रदोष का व्रत रखने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और सभी दोष दूर करते हैं. प्रदोष व्रत वाले दिन पूजा के लिए प्रदोष काल यानी शाम का समय शुभ माना जाता है. इसके लिए सूर्यास्त से एक घंटे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. स्नान के बाद संध्या के समय शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें. गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें. अब शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग चढ़ाए और विधिपूर्वक पूजन और आरती करें
Advertisement
Advertisement