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किसी भी IMAGE के Font की पहचान कैसे करें?
आप निम्न स्टेप फॉलो करके ऑनलाइन किसी भी इमेज के फोन का पता लगा सकते हो।
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सबसे पहले आप उस फोटो को डाउनलोड कर ले या उसके URL को कॉपी कर ले।
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️भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी क्यों तोड़ी
️भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी क्यों तोड़ी
बांसुरी का नाम लेते ही हमारे हृदय पर भगवान श्री कृष्ण की मनोहर छवि अंकित हो जाती है। बांसुरी और भगवान कृष्ण एक दूसरे के बिना अधूरे हैं इसीलिए तो भगवान कृष्ण को बांसुरी वाला भी कहा जाता है। जब भगवान कृष्ण बांसुरी बजाते थे तो केवल गोपियां ही नहीं अपितु पशु पक्षी भी अपनी सुध बुध खो बैठते थे। राधा तो कृष्ण की बांसुरी की दीवानी थी। बांसुरी की धुन पर पूरी प्रकृति नृत्य करने लगती थी। जब भगवान कृष्ण अपनी प्रिय बांसुरी को अपने अधरों से लगाते थे तो बांसुरी की मधुर धुन को सुनने के लिए देवता भी आकाश में एकत्र हो जाते थे।
ऐसा क्या हुआ कि भगवान कृष्ण ने अपनी प्रिय बांसुरी को तोड़कर जंगल में फेंक दिया। बांसुरी को तोड़ते वक्त भगवान कृष्ण के नेत्रों से अश्रु छलक आए थे। इसके बाद उन्होंने अपने जीवन में कभी बांसुरी नहीं बजाई। मुरली वाले के जीवन से संगीत सदा के लिए समाप्त हो गया। गोपियों ने फिर कभी बांसुरी की मदहोश करने वाली धुन नहीं सुनी। ऐसी कौन सी घटना घटी जिसके कारण भगवान कृष्ण ने बांसुरी बजाना छोड़ दिया। आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों हुआ।
कहा जाता है कि राधा की मृत्यु के बाद भगवान कृष्ण अत्यंत दुखी हो गए। तीनों लोकों के स्वामी की आंखों में अश्रुओं की धारा बहने लगी। कृष्ण ने दुखी मन से अपनी प्रिय बांसुरी तोड़कर जंगल में फेंक दी। इसके बाद उन्होंने जीवन में कभी भी बांसुरी नहीं बजाई। एक आत्मिक प्रेम कहानी का दुखद अंत हुआ।
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️भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी क्यों तोड़ी
️भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी क्यों तोड़ी बांसुरी का नाम लेते ही हमारे हृदय पर भगवान श्री कृष्ण की मनोहर छवि अंकित हो जाती है। बांसुरी और भगवान कृष्ण एक दूसरे के बिना अधूरे हैं इसीलिए तो भगवान कृष्ण को बांसुरी वाला भी कहा जाता है। जब भगवान कृष्ण बांसुरी बजाते थे...
right to abortion act
गर्भपात का अधिकार right to abortion act नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्देमहिलाओं से संबंधित मुद्देमौलिक अधिकारभारत में गर्भपात वास्तविक अर्थों में कानूनी अधिकार नहीं है। कोई महिला डॉक्टर के पास जाकर यह नहीं कह सकती कि वह गर्भपात करवाना चाहती है।...
Medical Termination of Pregnancy Act, 1971
गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971 गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971 (Medical Termination of Pregnancy Act, 1971) भारत सरकार का एक अधिनियम है जो कुछ विशेष परिस्थितियों में अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने की अनुमति देता है।[1] यह अधिनियम सन् 1971 में बनाया गया था...
Penalties payable under various sections of the Indian Penal Code
Penalties payable under various sections of the Indian Penal Code भारतीय दण्ड संहिता की विभिन्न धाराओं में देय दण्ड धाराओं के नाम अपराध दण्ड (सजा) 13 जुआ खेलना/सट्टा लगाना 1 वर्ष की सजा और 1000 रूपये जुर्माना 34 सामान आशय – 99 से 106...
IPC-Indian Penal Code भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 18 to 23 – Section 463 to 511
IPC-Indian Penal Code भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 18 to 23 – Section 463 to 511 Chapter 18 - Offenses relating to documents and property marks section 463 forgery Section 464 forging a false document Section 465 Punishment for forgery. Section 466 Forgery of record...
IPC-Indian Penal Code भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 17 – Section 378 to 462
IPC-Indian Penal Code भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 17 – Section 378 to 462 Chapter 17 - Offenses Against Property section 378 theft Section 379 Punishment for theft Section 380 Theft in residence etc. Section 381 Theft of property in master's possession by clerk or...
IPC-Indian Penal Code IPC -भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 16 – Section 299 to 377
IPC-Indian Penal Code IPC -भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 16 – Section 299 to 377 Chapter 16 - Offenses affecting the human body Section 299 culpable homicide section 300 murder Section 301 Culpable homicide by causing the death of a person other than the person whose...
IPC-Indian Penal Code IPC -भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 13, 14 and 15 – Section 264 to 298
IPC-Indian Penal Code IPC -भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 13, 14 and 15 – Section 264 to 298 Chapter 13 - Offenses relating to Weights and Measures Section 264 Fraudulent use of false weighing instruments Section 265 Fraudulent use of false weight or measure Section 266...
IPC-Indian Penal Code IPC -भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 12 – Section 230 to 263A
IPC-Indian Penal Code IPC -भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 12 – Section 230 to 263A Chapter 12 - Offenses relating to Coins and Government Stamps Section 230 definition of coin Section 231 Counterfeiting coin Section 232 Counterfeiting Indian coin Section 233 Making or...
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️भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी क्यों तोड़ी
️भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी क्यों तोड़ी बांसुरी का नाम लेते ही हमारे हृदय पर भगवान श्री कृष्ण की मनोहर छवि अंकित हो जाती है। बांसुरी और भगवान कृष्ण एक दूसरे के बिना अधूरे हैं इसीलिए तो भगवान कृष्ण को बांसुरी वाला भी कहा जाता है। जब भगवान कृष्ण बांसुरी बजाते थे...
right to abortion act
गर्भपात का अधिकार right to abortion act नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्देमहिलाओं से संबंधित मुद्देमौलिक अधिकारभारत में गर्भपात वास्तविक अर्थों में कानूनी अधिकार नहीं है। कोई महिला डॉक्टर के पास जाकर यह नहीं कह सकती कि वह गर्भपात करवाना चाहती है।...
Medical Termination of Pregnancy Act, 1971
गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971 गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971 (Medical Termination of Pregnancy Act, 1971) भारत सरकार का एक अधिनियम है जो कुछ विशेष परिस्थितियों में अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने की अनुमति देता है।[1] यह अधिनियम सन् 1971 में बनाया गया था...
Penalties payable under various sections of the Indian Penal Code
Penalties payable under various sections of the Indian Penal Code भारतीय दण्ड संहिता की विभिन्न धाराओं में देय दण्ड धाराओं के नाम अपराध दण्ड (सजा) 13 जुआ खेलना/सट्टा लगाना 1 वर्ष की सजा और 1000 रूपये जुर्माना 34 सामान आशय – 99 से 106...
IPC-Indian Penal Code भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 18 to 23 – Section 463 to 511
IPC-Indian Penal Code भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 18 to 23 – Section 463 to 511 Chapter 18 - Offenses relating to documents and property marks section 463 forgery Section 464 forging a false document Section 465 Punishment for forgery. Section 466 Forgery of record...
IPC-Indian Penal Code भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 17 – Section 378 to 462
IPC-Indian Penal Code भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 17 – Section 378 to 462 Chapter 17 - Offenses Against Property section 378 theft Section 379 Punishment for theft Section 380 Theft in residence etc. Section 381 Theft of property in master's possession by clerk or...
IPC-Indian Penal Code IPC -भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 16 – Section 299 to 377
IPC-Indian Penal Code IPC -भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 16 – Section 299 to 377 Chapter 16 - Offenses affecting the human body Section 299 culpable homicide section 300 murder Section 301 Culpable homicide by causing the death of a person other than the person whose...
IPC-Indian Penal Code IPC -भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 13, 14 and 15 – Section 264 to 298
IPC-Indian Penal Code IPC -भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 13, 14 and 15 – Section 264 to 298 Chapter 13 - Offenses relating to Weights and Measures Section 264 Fraudulent use of false weighing instruments Section 265 Fraudulent use of false weight or measure Section 266...
IPC-Indian Penal Code IPC -भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 12 – Section 230 to 263A
IPC-Indian Penal Code IPC -भारतीय दण्ड संहिता- Chapter 12 – Section 230 to 263A Chapter 12 - Offenses relating to Coins and Government Stamps Section 230 definition of coin Section 231 Counterfeiting coin Section 232 Counterfeiting Indian coin Section 233 Making or...
right to abortion act
गर्भपात का अधिकार right to abortion act
नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्देमहिलाओं से संबंधित मुद्देमौलिक अधिकारभारत में गर्भपात वास्तविक अर्थों में कानूनी अधिकार नहीं है। कोई महिला डॉक्टर के पास जाकर यह नहीं कह सकती कि वह गर्भपात करवाना चाहती है। सुरक्षित कानूनी गर्भपात उसी स्थिति में हो सकता है अगर डॉक्टर कहे कि ऐसा करना ज़रूरी है। शांतिलाल शाह समिति (1964) की सिफारिशों पर आधारित गर्भ का चिकित्सकीय समापन कानून 1971 कुछ आधारों को परिभाषित करता है जिन पर गर्भपात की अनुमति दी जा सकती है। ये आधार हैं-
धारा 3: जब पंजीकृत चिकित्सक गर्भपात कर सकता है।
- भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) (1860 का 45) के अनुसार कोई भी पंजीकृत चिकित्सक उस संहिता या किसी अन्य लागू कानून के अनुसार अपराधी नहीं करार दिया जा सकता अगर वह इस कानून के प्रावधानों के अनुसार गर्भपात करता है।
- इससे यह स्पष्ट होता है कि जहाँ तक गर्भपात का सवाल है, गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम (Medical Termination of Pregnancy- MTP Act) के प्रावधान, भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों का दमन करते हैं। धारा 3 की उप-धारा (2), उप-धारा (4) के प्रावधानों के अनुसार कोई पंजीकृत डॉक्टर गर्भपात कर सकता है। यदि –
गर्भावस्था की अवधि 12 सप्ताह से अधिक की नही है
- गर्भावस्था की अवधि 12 सप्ताह से अधिक है लेकिन 20 सप्ताह से अधिक नहीं है तो गर्भ उसी स्थिति में हो सकता है जब दो डॉक्टर ऐसा मानते हैं किः
- गर्भपात नहीं किया गया तो गर्भवती महिला का जीवन खतरे में पड़ सकता है, या
- अगर गर्भवती महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पहुँचने की आशंका हो, या
- अगर गर्भाधान का कारण बलात्कार हो, या
- इस बात का पर्याप्त खतरा हो कि अगर बच्चे का जन्म होता है तो वह शारीरिक या मानसिक विकारों का शिकार हो सकता है जिससे उसके गंभीर रूप से विकलांग होने की आशंका है, या
- बच्चों की संख्या को सीमित रखने के उद्देश्य से वैवाहिक दंपति ने जो गर्भ निरोधक हो या तरीका अपनाया हो वह विफल हो जाए, या
- गर्भवती महिला के स्वास्थ्य को उसके वास्तविक या बिल्कुल आप-पास के वातावरण के कारण खतरा हो। यह कानून 20 सप्ताह के बाद गर्भपात की अनुमति नहीं देता। निश्चित तौर पर ‘मेडिकल ओपिनियन’ ‘गुड फेथ’ में दिया जाना चाहिये। गुड फेथ शब्द को इस कानून में परिभाषित नहीं किया गया है लेकिन भारतीय दंड संहिता की धारा 52 गुड फेथ को पर्याप्त सावधानी के साथ किये गए कार्य के रूप में परिभाषित करती है।
गर्भपात के लिये सहमति
MTPA की धारा 3 (4) यह स्पष्ट करती है कि गर्भपात के लिये किसकी सहमति ज़रूरी होगी।
कोई भी युवती जिसकी आयु 18 वर्ष नहीं है या वह 18 वर्ष की तो हो लेकिन मानसिक तौर पर बीमार हो तो गर्भपात के लिये उसके अभिभावक की लिखित सहमति लेनी होगी।
- कोई भी गर्भपात महिला की सहमति के बगैर नहीं किया जा सकता।
गर्भ का चिकित्सकीय समापना (संशोधन) विधेयक, 2014 (Medical Termination of Pregnancy- MTP Act)
इसके क्रियान्वयन के क्षेत्र को विस्तार देने और कुछ और संस्थाओं को मेडिकल गर्भपात के काम में लगाने के लिये केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय ने MTP अधिनियम, 1971 में कुछ प्रमुख संशोधन प्रस्तावित किये हैं। प्रस्तावित संशोधन विधेयक 20 सप्ताह के बाद MTP की अनुमति देता है। इसके अलावा, अगर गर्भावस्था की वजह से महिला के जीवन को शारीरक या मानसिक तौर पर आघात लगने की संभावना हो या फिर इससे अजन्मे बच्चे को खतरा हो तो यह संशोधन गर्भपात की अवधि को गर्भ धारण के 24 सप्ताह से अधिक नहीं ले जाने की बात करता है।
इसके अलावा संशोधित कानून इस आधार पर 24 सप्ताह वाले MTP की बात करता है कि बलात्कार या गर्भनिरोधक पद्धति की विफलता को गर्भवती महिला के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा आघात समझा जाता है। यह कहता है कि 20 सप्ताह से 24 सप्ताह के बाद होने वाले किसी भ्रूण संबंधी असामान्यता के लिये MTP पर विचार किया जा सकता है।
अजन्मे बच्चे का अधिकार
तत्कालीन केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा था कि गर्भवती महिला को इस बात की जानकारी दे दी जानी चाहिये कि उसकी कोख में पल रही संतान का लिंग क्या है। चूँकि गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques- PCPNDT) का उल्लंघन कर माता-पिता को उनके अजन्मे शिशु के लिंग के संबंध में जानकारी देने वाले प्रत्येक अल्ट्रा साउंड तकनीशियन को पकड़ने की जद्दोजहद वास्तव में संभव नहीं है। ऐसे में क्यों न इससे संबंधित रणनीति को ही बदल दिया जाए? जैसे ही कोई महिला गर्भ धारण करे, हमें उसकी आने वाली संतान के लिंग से संबंधित जानकारी प्राप्त कर उसे बता देना चाहिये और सार्वजनिक रिकार्ड में उस जानकारी को अंकित कर देना चाहिये। “सोनोग्राफरों को सजा देने की बजाय, यह कन्या भ्रूण हत्या को रोकने का बेहतर मार्ग है।” अगर यह प्रस्ताव स्वीकार कर उसे लागू कर दिया जाता है तो वह गर्भवती महिला की निजता के अधिकारों के साथ-साथ गर्भपात करवाने के उनके अधिकार का भी अतिक्रमण होगा।
लिंग निर्धारण को अनिवार्य करना और सभी गर्भ-धारकों को निगरानी का विषय बनाना, संविधान के 19वें अनुच्छेद का उल्लंघन होगा, जहाँ से हमें निजता का अधिकार हासिल हुआ है और किसी भी महिला को यह हक दिया गया है कि वह इस बात को तय करे कि गर्भवती बनना है या नही, अथवा अपने गर्भ को कायम रखना है या नहीं। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने 1992 में नीरा माथुर बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम मामले में यह निर्णय दिया था कि गर्भ-धारण को निजी रखना, निजता के अधिकार का मामला है।
right to abortion
Issues arising out of formulation and implementation of policies Issues relating to women Fundamental rights Abortion in India is not a legal right in the true sense. A woman cannot go to the doctor and say that she wants to have an abortion. Safe legal abortion can only be done if a doctor says it is necessary. The Medical Termination of Pregnancy Act 1971, based on the recommendations of the Shantilal Shah Committee (1964), defines certain grounds on which abortion may be permitted. These are the bases-
Section 3: When registered medical practitioner may perform abortion.
- The Indian Penal Code (45 of 1860) provides that no registered medical practitioner shall be deemed to be an offense under that Code or any other law for the time being in force if he performs an abortion in accordance with the provisions of this Act.
- From this it is clear that the provisions of the Medical Termination of Pregnancy (MTP) Act supersede the provisions of the Indian Penal Code as far as abortion is concerned. A registered medical practitioner may perform an abortion subject to the provisions of sub-section (2), sub-section (4) of section 3. If –
- The duration of pregnancy does not exceed 12 weeks
- If the duration of the pregnancy is more than 12 weeks but does not exceed 20 weeks, then the pregnancy can be carried out if two doctors are of the opinion that:
- If the abortion is not performed, the life of the pregnant woman would be in danger, or
- if the physical or mental health of the pregnant woman is likely to be seriously endangered, or
- if the pregnancy was caused by rape, or
- there is a substantial risk that the child, if born, may suffer from physical or mental disorders likely to be seriously handicapped, or
Failure of any contraceptive or method adopted by the married couple for the purpose of limiting the number of children, or
The health of the pregnant woman is endangered by reason of her physical or immediate environment. This law does not allow abortion after 20 weeks. Definitely ‘Medical Opinion’ should be given in ‘Good Faith’. The term good faith is not defined in this law but section 52 of the Indian Penal Code defines good faith as an act done with due care.
consent to abortion
Section 3(4) of the MTPA specifies whose consent is necessary for an abortion.
- Any girl who is not 18 years of age or is 18 years old but is mentally ill, then her guardian’s written consent will have to be taken for abortion.
- No abortion can be done without the consent of the woman.
- The Medical Termination of Pregnancy (Amendment) Bill, 2014 (Medical Termination of Pregnancy- MTP Act)
- The Union Health Ministry has proposed some major amendments to the MTP Act, 1971 to expand the area of its implementation and to engage more institutions in the work of medical abortion. The proposed amendment bill allows MTP after 20 weeks. Further, if the pregnancy is likely to cause injury to the life of the woman, physically or mentally, or endanger the unborn child, the amendment seeks to limit the duration of the abortion beyond 24 weeks of pregnancy. Is.
- Further, the amended law calls for a 24-week MTP on the grounds that rape or failure of a contraceptive method is deemed to cause grave injury to the physical and mental health of a pregnant woman. It says that MTP can be considered for any fetal abnormality after 20 weeks to 24 weeks.
rights of the unborn child
The then Union Women and Child Development Minister Maneka Gandhi had said that pregnant women should be informed about the sex of the unborn child. WHEREAS, every ultrasound technician providing information to parents regarding the sex of their unborn child in violation of the Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques (Prohibition of Sex Selection) Act, The struggle to catch is not really possible. In such a situation, why not change the strategy related to it? As soon as a woman conceives, we should get information related to the sex of her future child and tell her and mark that information in public records. “Instead of punishing sonographers, this is a better way to stop female foeticide.” If this proposal is accepted and implemented, it will be an encroachment on the privacy rights of pregnant women as well as their right to have an abortion.
Compulsory sex determination and subjecting all pregnant women to surveillance would be violative of Article 19 of the Constitution, from where we got the right to privacy and a woman’s right to decide whether to become pregnant or not, or whether to keep the pregnancy or not. The Supreme Court in 1992, in Neera Mathur v Life Insurance Corporation of India, held that keeping pregnancy private is a matter of right to privacy.
Medical Termination of Pregnancy Act, 1971
गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971
गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971 (Medical Termination of Pregnancy Act, 1971) भारत सरकार का एक अधिनियम है जो कुछ विशेष परिस्थितियों में अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने की अनुमति देता है।[1] यह अधिनियम सन् 1971 में बनाया गया था तथा वर्ष 2002 में कानून में आवश्यक संशोधन किये गये। इस कानून के अन्तर्गत महिलायें कुछ विशेष परिस्थितियों में सरकारी अस्पताल में या सरकार की ओर से अधिकृत किसी से भी चिकित्सा केन्द्र में अधिकृत व प्रशिक्षित डॉक्टर द्वारा गर्भपात करा सकती है। गर्भ-समापन के लिये घर के किसी सदस्य की लिखित इजाजत की जरूरत नहीं होती है, लेकिन 18 वर्ष से कम आयु की महिलाओं अथवा जिसने 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली हो, लेकिन जो पागल हो, को माता-पिता या पति (यदि कोई नाबालिक लडकी की शादी हो गई हो) की लिखित इजाजत की जरूरत होती है। 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं का केवल स्वयं की लिखित स्वीकृति ही देनी जरूरी है|
गर्भ समापन की परिस्थितियॉं
-
यदि चिकित्सा-व्यवसायी / चिकित्सा व्यवसायियों ने सद्भभावनापूर्वक यह राय कायम की हो कि:-
-
गर्भ के बने रहने से गर्भवती स्त्री का जीवन जोखिम में पड़ेगा अथवा उसके शारिरीक या मानसिक स्वास्थ्य को गम्भीर क्षति की जाखिम होगी, अथवा
-
यदि इस बात की पर्याप्त जोखिम है कि यदि बच्चा पैदा हुआ तो वह ऐसी शारीरकि या मानसिक असामान्यताओं से पीड़ित होगा कि वह गम्भीर रूप से विकलांग हो,
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तो वह गर्भ रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा-व्यवसायी द्वारा समाप्त किया जा सकेगा।
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सेवाएँ कहॉं व किससे
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कानून में यह व्यवस्था की गई है कि केवल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पतालों में ही गर्भ समापन सेवायें प्राप्त की जा सकती हैं इन अस्पतालों में पूरी सुविधायें होने पर ही इन्हें इस काय्र के लिए अधिकृत किया जाता है।
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प्रसूति विज्ञान और स्त्री रोग विज्ञान में स्नातकोतर डिग्री प्राप्त कर चुका हो।
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प्रसूति विज्ञान ओर स्त्री रोग विज्ञान के व्यवसाय में तीन वर्ष का अनुभव हो।
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वे डॉक्टर जिन्होंने प्रसूति विज्ञान एवं स्त्री रोग विज्ञान में छः महीने तक हाऊस जॉब किया हो या अधिकृत अस्पताल में गर्भ समापन का प्रशिक्षण लिया हो।
Medical Termination of Pregnancy Act, 1971
The Medical Termination of Pregnancy Act, 1971 is an Act of the Government of India that allows getting rid of an unwanted pregnancy under certain circumstances.[1] This act was enacted in the year 1971 and came into force in the year Necessary amendments were made in the law in 2002. Under this law, under certain circumstances, women can get abortion done by an authorized and trained doctor in a government hospital or any medical center authorized by the government. Abortion does not require the written permission of any member of the household, but for women under 18 years of age or who has attained the age of 18 years but is of unsound mind, the parent or husband (if If a minor girl is married), written permission is required. Women of 18 years of age and above are required to give only their own written consent.
circumstances of termination of pregnancy
If the medical practitioner/practitioners have in good faith formed the opinion that:-
the continuance of the pregnancy would endanger the life of the pregnant woman or risk serious injury to her physical or mental health, or
If there is a substantial risk that the child, if born, would suffer from such physical or mental abnormalities as to be seriously handicapped,
So that pregnancy can be terminated by a registered medical practitioner.
where and to whom services
It has been arranged in the law that abortion services can be obtained only in hospitals recognized by the government, they are authorized for this work only after having complete facilities in these hospitals.
Must have acquired a post graduate degree in Obstetrics and Gynaecology.
Three years experience in the practice of Obstetrics and Gynaecology.
Those doctors who have done house job in obstetrics and gynecology for six months or have undergone training in termination of pregnancy in an authorized hospital.
Penalties payable under various sections of the Indian Penal Code
Penalties payable under various sections of the Indian Penal Code
भारतीय दण्ड संहिता की विभिन्न धाराओं में देय दण्ड
धाराओं के नाम |
अपराध |
दण्ड (सजा) |
13 | जुआ खेलना/सट्टा लगाना | 1 वर्ष की सजा और 1000 रूपये जुर्माना |
34 | सामान आशय | – |
99 से 106 | व्यक्तिगत प्रतिरक्षा के लिए बल प्रयोग का अधिकार | – |
110 | दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है | तीन वर्ष |
120 | षडयंत्र रचना | – |
141 | विधिविरुद्ध जमाव | आजीवन कारावास या जुर्माना |
147 | बलवा करना | 2 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों |
156 (3) | स्वामी या अधिवासी जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो के अभिकर्ता का उपद्रव के निवारण के लिए क़ानूनी साधनों का उपयोग न करना। | आर्थिक दंड |
156 | स्वामी या अधिवासी जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो के अभिकर्ता का उपद्रव के निवारण के लिए क़ानूनी साधनों का उपयोग न करना। | आर्थिक दंड |
161 | रिश्वत लेना/देना | 3 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों |
171 | चुनाव में घूस लेना/देना | 1 वर्ष की सजा/500 रुपये जुर्माना |
177 | सरकारी कर्मचारी/पुलिस को गलत सूचना देना | 6 माह की सजा/1000 रूपये जुर्माना |
186 | सरकारी काम में बाधा पहुँचाना | 3 माह की सजा/500 रूपये जुर्माना |
191 | झूठे सबूत देना | 7 साल तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान |
193 | न्यायालयीन प्रकरणों में झूठी गवाही | 3/ 7 वर्ष की सजा और जुर्माना |
201 | साक्ष्य मिटाना | – |
217 | लोक सेवक होते हुए भी झूठे सबूत देना | 2 साल तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान |
216 | लुटेरे/डाकुओं को आश्रय देने के लिए दंड | 3 साल की सजा |
224/25 | विधिपूर्वक अभिरक्षा से छुड़ाना | 2 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों |
231/32 | जाली सिक्के बनाना | 7 वर्ष की सजा और जुर्माना |
255 | सरकारी स्टाम्प का कूटकरण | 10 वर्ष या आजीवन कारावास की सजा |
264 | गलत तौल के बांटों का प्रयोग | 1 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों |
267 | औषधि में मिलावट करना | 6 माह की सजा |
272 | खाने/पीने की चीजों में मिलावट | 6 महीने की सजा/1000 रूपये जुर्माना |
274 /75 | मिलावट की हुई औषधियां बेचना | – |
279 | सड़क पर उतावलेपन/उपेक्षा से वाहन चलाना | 6 माह की सजा या 1000 रूपये का जुर्माना |
292 | अश्लील पुस्तकों का बेचना | 2 वर्ष की सजा और 2000 रूपये जुर्माना |
294 | किसी धर्म/धार्मिक स्थान का अपमान | 2 वर्ष की सजा |
297 | कब्रिस्तानों आदि में अतिचार करना | 1 साल की सजा और जुर्माना दोनो |
298 | किसी दूसरे इंसान की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना | 1 साल की सजा या जुर्माना या दोनों |
299 | मानव वध | – |
302 | हत्या/कत्ल | आजीवन कारावास/मौत की सजा |
306 | आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण | 10 वर्ष की सजा और जुर्माना |
308 | गैर-इरादतन हत्या की कोशिश | 7 वर्ष की सजा और जुर्माना |
309 | आत्महत्या करने की चेष्टा करना | 1 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों |
310 | ठगी करना | आजीवन कारावास और जुर्माना |
312 | गर्भपात करना | – |
313 | महिला की बिना सहमति के गर्भपात कराना | – |
323 | जानबूझ कर चोट पहुँचाना | – |
326 | चोट पहुँचाना | – |
351 | हमला करना | – |
354 | किसी स्त्री का लज्जा भंग करना | 2 वर्ष का कारावास/जुर्माना/दोनों |
362 | अपहरण | – |
363 | किसी स्त्री को ले भागना | 7 वर्ष का कारावास और जुर्माना |
366 | नाबालिग लड़की को ले भागना | – |
376 | बलात्कार करना | 10 वर्ष/आजीवन कारावास |
377 | अप्राकृतिक कृत्य अपराध | 5 वर्ष की सजा और जुर्माना |
379 | चोरी (सम्पत्ति) करना | 3 वर्ष का कारावास /जुर्माना/दोनों |
392 | लूट | 10 वर्ष की सजा |
395 | डकैती | 10 वर्ष या आजीवन कारावास |
396 | डकैती के दौरान हत्या | – |
406 | विश्वास का आपराधिक हनन | 3 वर्ष कारावास/जुर्माना/दोनों |
415 | छल करना | – |
417 | छल/दगा करना | 1 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों |
420 | छल/बेईमानी से सम्पत्ति अर्जित करना | 7 वर्ष की सजा और जुर्माना |
445 | गृहभेदन | – |
446 | रात में नकबजनी करना | – |
426 | किसी से शरारत करना | 3 माह की सजा/जुर्माना/दोनों |
463 | कूट-रचना/जालसाजी | – |
477(क) | झूठा हिसाब करना | – |
489 | जाली नोट बनाना/चलाना | 10 वर्ष की सजा/आजीवन कारावास |
493 | धोखे से शादी करना | 10 वर्षों की सजा और जुर्माना |
494 | पति/पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना | 7 वर्ष की सजा और जुर्माना |
495 | पति/पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना और दोनों रिश्तें चलाना | 10 साल की सजा और जुर्माना |
496 | बगैर रजामंदी के शादी करना या जबरदस्ती विवाह करना | 07 साल की सजा और जुर्माना |
497 | जारकर्म करना | 5 वर्ष की सजा और जुर्माना |
498 | विवाहित स्त्री को भगाकर ले जाना या धोखे से ले जाना | 2 साल का कारावास या जुर्माना अथवा दोनों |
499 | मानहानि | – |
500 | मान हानि | 2 वर्ष की सजा और जुर्माना |
506 | आपराधिक धमकी देना | – |
509 | स्त्री को अपशब्द कहना/अंगविक्षेप करना | सादा कारावास या जुर्माना |
511 | आजीवन कारावास से दंडनीय अपराधों को करने के प्रयत्न के लिए दंड | – |