️भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी क्यों तोड़ी
बांसुरी का नाम लेते ही हमारे हृदय पर भगवान श्री कृष्ण की मनोहर छवि अंकित हो जाती है। बांसुरी और भगवान कृष्ण एक दूसरे के बिना अधूरे हैं इसीलिए तो भगवान कृष्ण को बांसुरी वाला भी कहा जाता है। जब भगवान कृष्ण बांसुरी बजाते थे तो केवल गोपियां ही नहीं अपितु पशु पक्षी भी अपनी सुध बुध खो बैठते थे। राधा तो कृष्ण की बांसुरी की दीवानी थी। बांसुरी की धुन पर पूरी प्रकृति नृत्य करने लगती थी। जब भगवान कृष्ण अपनी प्रिय बांसुरी को अपने अधरों से लगाते थे तो बांसुरी की मधुर धुन को सुनने के लिए देवता भी आकाश में एकत्र हो जाते थे।
ऐसा क्या हुआ कि भगवान कृष्ण ने अपनी प्रिय बांसुरी को तोड़कर जंगल में फेंक दिया। बांसुरी को तोड़ते वक्त भगवान कृष्ण के नेत्रों से अश्रु छलक आए थे। इसके बाद उन्होंने अपने जीवन में कभी बांसुरी नहीं बजाई। मुरली वाले के जीवन से संगीत सदा के लिए समाप्त हो गया। गोपियों ने फिर कभी बांसुरी की मदहोश करने वाली धुन नहीं सुनी। ऐसी कौन सी घटना घटी जिसके कारण भगवान कृष्ण ने बांसुरी बजाना छोड़ दिया। आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों हुआ।
कहा जाता है कि राधा की मृत्यु के बाद भगवान कृष्ण अत्यंत दुखी हो गए। तीनों लोकों के स्वामी की आंखों में अश्रुओं की धारा बहने लगी। कृष्ण ने दुखी मन से अपनी प्रिय बांसुरी तोड़कर जंगल में फेंक दी। इसके बाद उन्होंने जीवन में कभी भी बांसुरी नहीं बजाई। एक आत्मिक प्रेम कहानी का दुखद अंत हुआ।
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